Rama and Kashmir Files

श्रीरामचरितमानस में अच्छा राजा और द कश्मीर फाइल्स

श्री रामचरितमानस एक क्रांतिकारी ग्रंथ है | इसमें न सिर्फ़ अच्छा भाई, अच्छी पत्नी, आदर्श पुत्र और आदर्श माता आदि का निरूपण है बल्कि उत्तम राजा और सुराज्य का भी वर्णन है | इसका पठान पाठन केवल धर्म ग्रंथ की तरह होने से प्राय: लोग इसमें अच्छे राजा और उत्तम राज्य के क्या लक्षण हैं इस विषय पर ध्यान ही नहीं देते | आज हम आपको मानस के ही अनेक प्रमाणों के साथ इस रहस्य से भी अवगत कराएँगे |

अयोध्याकाण्ड में कहा गया है:


जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी। सो नृपु अवसि नरक अधिकारी।।
अर्थात् “जिस राजा के राज्य में प्यारी जनता दुखी रहती है, वह राजा नरकगामी होता है।

~ श्री रामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड 71/6) ~

अयोध्याकाण्ड में ही अन्यत्र रामजी वाल्मीकि जी से कहते हैं :

मुनि तापस जिन्ह तें दुखु लहहीं। ते नरेस बिनु पावक दहहीं।।

“जिनसे मुनि और तपस्वी दुःख पाते हैं, वे राजा बिना अग्नि के ही (अपने दुष्ट कर्मों से ही) जलकर भस्म हो जाते हैं।”
~ श्री रामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड 126/3) ~

रामजी भरतजी को भी समझाते हैं :

मुखिया मुखु सो चाहिऐ खान पान कहुँ एक |
पालइ पोषइ सकल अंग तुलसी सहित बिबेक ||

अर्थात् :
“तुलसीदास जी कहते हैं कि मुखिया मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला है, लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है |”
~ श्री रामचरितमानस (अयोध्याकाण्ड 315) ~

कश्मीर फाइल्स में उस समय की घटनायें दर्शाई गयी हैं जब कश्मीरी पंडितों को इस्लामी आतंकवादी अत्याचार पूर्वक मारके पलायन करने पर विवश कर रहे थे | मानस की उपरोक्त पंक्तियों को ध्यान में रख कर देखें तो जान पड़ेगा कि उस समय कश्मीर राज्य कितनी दुर्दशा में था और अभी के राजनीतिज्ञों को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे की वैसी परिस्थिति फिर न आए |

श्री रामचरितमानस के बालकांड में राजा प्रतापभानु की कथा आई है | उस राजा की एक विशेषता बताई गयी है:
सकल अवनि मंडल तेहि काला। एक प्रतापभानु महिपाला॥
सम्पूर्ण पृथ्वी मंडल का उस समय प्रतापभानु ही एकमात्र (चक्रवर्ती) राजा था॥

~ श्री रामचरितमानस (बालकांड 154/8) ~

मानस के उत्तरकांड में जब रामजी राजा बन जाते हैं और राम-राज्य की स्थापना करते हैं वहाँ भी तुलसीदासजी लिखते हैं:
भूमि सप्त सागर मेखला। एक भूप रघुपति कोसला॥
भावार्थ:-
“अयोध्या में श्री रघुनाथजी सात समुद्रों की मेखला (करधनी) वाली पृथ्वी के एक मात्र राजा हैं।”

~ श्री रामचरितमानस (उत्तरकांड 22/1) ~

यह तो काव्योचित अतिशयोक्ति है कि सारी दुनिया के एक ही राजा थे | वस्तुतः यहाँ तुलसीदासजी यह बताना चाहते हैं कि जो सबको जोड़े और राज्य का विस्तार करे वह अच्छा राजा है |

लेकिन भारत का दुर्भाग्य है कि यहाँ ऐसे राजनीतिज्ञ हुए जिन्होने देश का विभाजन किया और फिर भी उनका महिमा मॅंडन किया गया ! भारत से आफ्गानिस्तान अलग हुआ, बांग्लादेश अलग हुआ और पाकिस्तान अलग हुआ फिर भी किन्ही ने ऐसे राजनीतिज्ञों की भर्त्सना नहीं की ! उल्टे देश को बाँटने वाले को राष्ट्रपिता घोषित किया गया | अब आप ही बतायें जिन रामजी ने सारे देश को एक किया और भारत के राज्य का विस्तार किया उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाए या जिन्होने भारत का विभाजन करवा दिया उन्हें यह उपाधि मिलनी चाहिए ? दोनों अपनी अपनी जगह पर ठीक तो नहीं हो सकते | या तो रामजी ठीक या दुरात्मा गाँधी ठीक |

कश्मीर फाइल्स में ऐसे बुद्धिवादियों को दिखाया गया है जो लोग भारत से कश्मीर को अलग करने का न्यायीकरण करते हैं | ऐसे बुद्धिवादियों के शब्दों का जवाब शब्दों से न देकर जूतों से देना चाहिए |
अभी एक ब्लॉग दिखा जहाँ कोई बुद्धिवादी कश्मीर फाइल्स का विरोध कर रहा था | उसके तर्कों और उसके पीछे के अभिप्रायों को यहाँ बता रहा हूँ :

  1. यह एक वाहयात फ़िल्म है

अभिप्रायः यह देश के टुकड़े करने का समर्थन नहीं करती |

  1. इस फ़िल्म को मत देखिए । देखना है तो Legend of Bhagat Singh देखिए |

अभिप्रायः जैसे भगत सिंह भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ाद करवाने के लिए शहीद हो गए, वैसे आप लोग भी कश्मीर को भारत से आज़ाद करवाने के लिए मर जाएँ ।

  1. इसमें वामपंथी और कम्यूनिष्ट को ख़राब दिखाया है |

अभिप्रायः हिन्दू धर्म का अपमान करना बुद्धिमत्ता है ।

  1. नरेंद्र मोदी फ़ासीवादी हैं |

अभिप्रायः सोनिया गांधी को ऐंटोनीओ माइनो कहने के लिए अर्नब गोस्वामी को जेल में बंद करनेवाले लोग बहुत उदार हैं !

उक्त ब्लॉग किसी अजय असुर का है – असुर नाम सार्थक लगता है !

ऐसे बुद्धिवादियों का अपमान होना बहुत ज़रूरी है अन्यथा ये लोग फिर से देश का विभाजन करवा कर ही मानेंगे |
सारांश यह कि कश्मीर फाइल्स में दिखाए गये घटनाओं को श्री रामचरितमानस में लिखे आदर्शों के आईने में देखा जाए तो ये स्पष्ट हो जाता है कि अच्छा देश और अच्छा राजा कैसा होता है और इसके लिए हम सबको कैसे कदम उठाने चाहिए | जो भी राजनीतिज्ञ इस सुराज्य को लाने में सहयोग करें उनका स्वागत होना चाहिए और जो इस सुराज्य को नहीं लाना चाहते उनका पूरी तरह से विरोध होना चाहिए !